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वर्तमान युवा पीढी

वर्तमान युवा पीढी तथाकथित आधुनिकता के दौर मे दिग्भ्रमित हो गयी है उसे इसमें अपना सुनहरा भविष्य दिखाई पड रहा है । वह इसकी कटु वास्तविकता से पूर्णतः अनजान है । वस्तुतः उसको आधुनिकता का सही अर्थ ही नही पता है । आधुनिकता फौनशनेबुल कपडे पहन लेनाे मात्र नही है बल्कि आधुनिकता आचरण की सभ्यता में निहित है। आचरण की शुचिता किसी भी समाज के आधुनिक होने का आधार है। अन्धानुकरण के इस दौर मे हम यही आगाह कर सकते हैं कि -


जो प्रतिष्ठा शेष है उसको रखो।
सुधा के धोखे हलाहल मत चखो॥

Comments

36solutions said…
बहुत ही बढिया प्रयास है, ब्‍लाग का सहीं उपयोग ।

धन्‍यवाद ।
Gajendra said…
धन्यवादः। संस्कृतस्य शोध कार्यम्-अध्ययनम् भवान् करोति,श्रुत्वा बहुप्रसन्नः अस्मि अहम्। मम संस्कृत भाषायाः ब्लॉग भवान् एकवारं पश्यतु-

http://tirhuta.blogspot.com/

http://samskrit.wordpress.com/
गजेन्द्र ठाकुरः

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