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Showing posts from September 21, 2008

पर्यावरण

पर्यावरण की रक्षा करना प्रत्येक मानव का नैतिक कर्तव्य है । आज प्रकृति के लगातार दोहन के परिणामस्वरूप प्रकृति क्रुद्ध हो गयी है जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण आज पूरे भारत में बाढ़ से हो रही तबाही है चाहे वो गुजरात का कच्छ हो अथवा बिहार हो । आज भारत का हर कोना बाढ़ से प्रभावित है । अत्यधिक शोषण व दोहन का भला इससे भयावह परिणाम और क्या होगा ? पर्यावरण के प्रति जो चैतन्यता हमारे पूर्वजों ने सृजित की थी वो आज अस्तित्व में नहीं रही है । प्राचीन भारतीय दृष्टि जो प्रकृति को श्रद्धा से देखती थी तथा प्रकृति के उपादानों की पूजा-अर्चना करती थी आज बदल गयी है । आज हमारे पास वे त्यौहार तो हैं जो हमारे पूर्वजों ने प्रकृति के सरंक्षण को ध्यान में रखकर प्रारम्भ किये थे पर उनकी जो दृष्टि थी उसका हमारे मध्य नितान्त अभाव है । यही कारण है कि आज पर्यावरण के प्रति ही नही वरन् मानव के प्रति भी हमारी संवेदनशीलता कम होती जा रही है । शहरी इलाको में रहने वाले लोगों से तो सामाजिकता भी अपने सच्चे अर्थों में दूर होती जा रही है उअसके नाम पर अब चोंचला ही शेष रह गया है जो किटी पार्टियों आदि के माध्यम से अपना कृत्रिम कलेवर लेकर ...