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मा हसन्तु...

एकदा रीना सुधा च चलचित्रमन्दिरं गतवत्यौ। चलचित्रेश्वश्र्वाः अभिनयः ताभ्यां बहु अरोचत । ते उभे अपि अतीव प्रसन्ने । अतः सुधा रीनाम् अवदत् - "सखि! या श्वश्रूः चलचित्रे अस्ति, तस्याः स्वभावः बहु उत्तमः । एतादृशी एव श्वश्रूः निजजीवने अपि यदि प्राप्येत् तर्हि वैवाहिकजीवनंनितरां श्लाघ्यं स्यात्" इति। एतत् श्रुत्वा पृष्ठभागे उपविष्टवान् युवकः उक्तवान् - "मम मातुः स्वभावः अपि एतादृशः एव अस्ति" इति ।

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tadaa reenaa avadat yat parantu mama maataa tu ekam iidRRiSham janam yaamaataaram vidhaatum ichchhati yaH sadaa mama caraNaanaam eva sevaa hRRidayena karotu
tadaa saH yuvakaH avadat yat mama TOMMY sadaiva yada kamapi pashyati, tasya charaNau jihvayaa sevate |

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पूरब पूरब है, पश्चिम पश्चिम है, ये दोनों कभी एक नहीं हो सकते

प्राच्य एवं पाश्चात्य दोनों दो भिन्न - भिन्न विचारधाराओं के प्रतिनिधि हैं। एक समतामूलक है , दूसरी शोषणपरक। भारतीय संस्कृति प्राच्य की प्रतिनिधि है। यह संस्कृति सनातन गंगा प्रवाह है , जिसमें कूटस्थ नित्यता भी है , प्रवाह नित्यता भी । जिस प्रकार गंगा सतत् प्रवाहित हो रही है , परन्तु उसका प्रत्येक बिन्दु जल नवीन है , उसी प्रकार भारतीय संस्कृति भी सातत्य के साथ नवता का समावेश करते हुए चलती है। वेद कहता है ‘ आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः ’ अर्थात् आदर्श विचारों को सब ओर से आने दो। जिस प्रकार एक वटवृक्ष से अनेक शाखायें - प्रशाखायें निकलकर उस वृक्ष को सहारा देती हैं , उसी प्रकार भारतीय ज्ञान परम्परा की अनेक चिन्तन धारायें भारतीय संस्कृति के अजस्र स्रोत के अबाध गति को बनाये रखने में अपना योगदान देती हैं। भारतीय पारिवारिक एवं सामाजिक संरचना आज इतने परिवर्तनों के बावजूद भी अपनी एक विशिष्ट पहचान रखती है। सम्बन्धों की संवेदना से मानवीय संवेदना के स्तर तक प्राच्य एवम्   पाश्चात्य में आधारभूत...

ज्योतिर्विद् वराहमिहिर

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Swami Vivekananda

Biography of Swami Vivekananda Birth and Early life Narendranath Dutta was born in Shimla Pally, Kolkata, West Bengal, India on 12 January 1863 as the son of Viswanath Dutta and Bhuvaneswari Devi. Even as he was young, he showed a precocious mind and keen memory. He practiced meditation from a very early age. While at school, he was good at studies, as well as games of various kinds. He organized an amateur theatrical company and a gymnasium and took lessons in fencing, wrestling, rowing and other sports. He also studied instrumental and vocal music. He was a leader among his group of friends. Even when he was young, he questioned the validity of superstitious customs and discrimination based on caste and religion. In 1879, Narendra entered the Presidency College, Calcutta for higher studies. After one year, he joined the Scottish Church College, Calcutta and studied philosophy. During the course, he studied western logic, western philosophy and history of European nations. There star...